A Secret Weapon For Shodashi
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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
The Mahavidya Shodashi Mantra aids in meditation, maximizing internal quiet and emphasis. Chanting this mantra fosters a deep perception of tranquility, enabling devotees to enter a meditative condition and join with their inner selves. This benefit improves spiritual consciousness and mindfulness.
ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं
ह्रीं ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं
The Saptamatrika worship is particularly emphasised for anyone trying to get powers of Command and rule, as well as for people aspiring to spiritual liberation.
ईक्षित्री सृष्टिकाले त्रिभुवनमथ या तत्क्षणेऽनुप्रविश्य
संरक्षार्थमुपागताऽभिरसकृन्नित्याभिधाभिर्मुदा ।
Devotees of Shodashi have interaction in various spiritual disciplines that goal to harmonize the brain and senses, aligning them with the divine consciousness. The following details outline the progression in direction of Moksha by way of devotion to Shodashi:
Since the camphor is burnt into the hearth instantly, the sins created by the person turn into no cost from those. There is absolutely no any therefore want to discover an auspicious time to begin the accomplishment. But pursuing intervals are explained to get special for this.
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥
॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और read more व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।